Independence Day Special | Poetry By Ankit Paurush | The Ankit Paurush Show

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भारत का तू सम्मान है,
भारत का स्वाभिमान है,
इंसानो में सर्वश्रेस्ठ,
तू फौजी महान है।

मेरे देश के फौजी,
मेरे देश के गौरव,
तुझको मेरा सलाम है।

जब देश पर अंधकार आता है,
तू मिशाल बनकर खड़ा हो जाता है,
अपने लहू को बहकार,
गौरव की तू गरिमा बचाता है ।
नम आंखों को लेकर,
सम्मान तेरा करता हूं,
ऐ भारत के रक्षक,
मैं सलाम तुझको करता हूं।

जहां इंसान टिकता नहीं,
तू रक्षा वहां से करता है,
अपनी परवाह किए बिना,
हर रोज मौत से लड़ता है।
हे भारत का गौरव,
मैं सम्मान तेरा करता हूं,
नम आंखों से तुझको,
सलाम मैं करता हूं।

चाहे जलती अग्नी की ज्वाला हो,
चरम ठंड कंपकंपाने वाला हो,
तू वहां भी अटल हो जाता है,
हमारे घर को तू बचाता है,
ऐसे महान नायक का,
सम्मान मैं करता हूं,
ऐ भारत के रक्षक,
मैं सलाम तुझ को करता हूं।

जब जब भारत पर संकट आया,
रक्त में लतपत होकर भी,
तूने संकट से बचाया,
हम को बचने के खातिर,
तिरंगे में लिपटा आया,
नम आंखों को लेकर,
सम्मान तेरा करता हूं,
मेरे भारत के फौजी,
मैं सलाम तुझको करता हूं।

तेरा भी परिवार है,
त्याग अपरंपार है,
तुझ कर्म योगी का,
गुणगान मैं करता हूं,
ऐ भारत के गौरव,
मैं सलाम तुझको करता हूं।

क्या आजादी हमको मुफ्त में मिली ,
हम जानते हैं नहीं,
हम सब जानते हैं नहीं,
हम जानते हैं कितनी कुर्बानियां हमारे पूर्वजों ने दी ।
आज हम आजाद भारत में सांस ले रहे हैं,
क्या वो सुकून की सांस ले पाए।

सोचो अगर हम उस काल चले जाएं,
तो नदियां खून से लत पत होंगी,
एक बार सोचो जलिया वाला बाग,
कितना दर्द झेला होगा,
जरा सोचो, महसूस करो,
एक बार को सोचो आप वहां हो,
खून, मास से भरा हुआ नजारा सोचो,
महसूस करो,
सोचो
कितनों का खून पानी की तरह बहा होगा।

लोगों ने अपना खून बहाया,
यही सोचकर ,
शायद हम आजाद हो पाएं,
सबका मकसद एक ही था,
गुलामी से छुटकारा,
रास्ते अलग अलग थे,
मगर मंजिल एक ही थी आजाद भारत।

आजादी के लिए सबने खून बहाया,
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, पारसी सब ने बहाया,
तरीके शायद अलग अलग हो,
मगर एक भारत , अखंड भारत ,
यही सपना था।

आजादी की लड़ाई के लिए ,
हर जगह, हर राज्य , हर जिला,
सबका सहयोग था,
सब एक हो गए थे,
यही सपना लेकर आजाद भारत।

अब हम आजाद भारत में जी रहे हैं,
क्या ये कोई खुशी से कम हैं,
तो आखिर जात, धर्म, जगह को लेकर अलग अलग क्यों हो जाते हैं।

क्या ये चिंतन का विषय नहीं।

मैं एक अमर शहीद स्वतंत्रता सैनानी,
ऊपर बैठ सब देख रहा,
मैं एक अमर शहीद स्वतंत्रता सैनानी।

आजाद भारत दिया है तुमको,
पर तुम कैदी आज भी,
मैंने आजादी के लिए लहू को पसीना बनाया,
खुद कि परवाह किए बिना मौत को गले गया,
आजाद भारत दिया है तुमको।

आजादी के लिए कांटों पर चला मैं,
पर तुम आपस में ही लड़ते हो,
माना विचार अलग हो सकते,
विचारों का विरोध करो,
पर इंसान को अलग न करो,
आजाद भारत दिया है तुमको।

आजाद भारत दिया है तुमको,
जाए लुत्फ उठाओ,
आजादी का मोल पहचानो,
जो तपस्या कि है, उसकी कीमत जानो।

माना एक दूसरे से तुमको शिकायतें हैं,
शिकायतें तो हमको भी थी,
शिकायतों का समाधान निकालो,
हृदय से इंसान को न निकालो।
क्या तुम्हारी शिकायत ,
हमारी कुर्बानी से ज्यादा है,
तो एक बार चंद्र शेखर आजाद, सुखदेव, भगत सिंह, राजगुरु को सोच लो,
और हर एक स्वतंत्रा सैनानी की कुर्बानी को सोच लो,
तो एक ही बात समझ में आएगी,
राज्यें अनेक पर देश एक,
धर्म अनेक पर देश एक,
विचार अनेक पर देश एक।
बस एक भारत एक।

By Ankit Paurush

अंकित पौरुष अभी बंगलोर स्थित एक निजी सॉफ्टवेर फर्म मे कार्यरत है , साथ ही अंकित नुक्कड़ नाटक, ड्रामा, कुकिंग और लेखन का सौख रखते हैं , अंकित अपने विचार से समाज मे एक सकारात्मक बदलाव के लिए अक्सर अपने YouTube वीडियो , इंस्टाग्राम हैंडल और सभी सोसल मीडिया के हैंडल पर काफी एक्टिव रहते हैं और जब भी समय मिलता है इनके विचार पंख लगाकर उड़ने लगते हैं

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