कीचड़ में खिलने वाले,शायद वह कमल हम तो नहीं,
तेरे चरणों में चढ़ने वाले माँ, शायद वह फूल हम तो नहीं।
माँ ऐसी शक्ति करदे प्रदान, कमल की तरह हो जाऊं महान।
मिटा दे अहंकार , क्रोध, लोभ, लालच जैसी मक्कारी,
मैं बन जाऊंगा, तेरा आभारी,
जगा दे, प्रेम , प्रकाश, शांति और ज्ञान,
मतलब का ना रहूं , मैं इंसान,
आंतरिक सुंदर हो जाए मेरी प्रकर्ति,
माँ मुझको दे दे, तू ऐसी शक्ति।
कीचड़ में खिलने वाले , शायद वह कमल हम तो नहीं,
तेरे चरणों में चढ़ने वाले माँ, शायद वह फूल हम तो नहीं।
कृष्णा जैसा प्रेमी बन जाऊं,
राम जैसी मर्यादा पाऊं,
शिव जैसा शांत हो जाऊं,
हनुमान जैसा भक्ति भाव पाऊँ,
साँच का धर्म सिखाऊं,
माँ मुझको दे दे ऐसी शक्ति,
उस शक्ति कि, करूँगा भक्ति।
मेरे अंदर हवन हो जाये,
मैं नामक दोष चला जाए,
शुद्धिकरण से सुगन्दीत हो जाऊं,
मैं तुझमें विलीन हो जाऊं,
माँ मुझको दे दे ऐसी शक्ति,
उस शक्ति कि, करूँगा भक्ति।
इंसान होने का फ़र्ज़ निभा जाऊं,
इंसान को इंसानियत सीखा जाऊं,
प्रेम कि चादर ओढ़े दुनिया सारी,
बंजाऊँगा माँ , तेरा आभारी,
माँ ऐसी शक्ति करदे प्रदान,
कमल की तरह हो जाऊं महान।

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By Ankit Paurush

अंकित पौरुष अभी बंगलोर स्थित एक निजी सॉफ्टवेर फर्म मे कार्यरत है , साथ ही अंकित नुक्कड़ नाटक, ड्रामा, कुकिंग और लेखन का सौख रखते हैं , अंकित अपने विचार से समाज मे एक सकारात्मक बदलाव के लिए अक्सर अपने YouTube वीडियो , इंस्टाग्राम हैंडल और सभी सोसल मीडिया के हैंडल पर काफी एक्टिव रहते हैं और जब भी समय मिलता है इनके विचार पंख लगाकर उड़ने लगते हैं

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