मैं इंसान हूं, मुझे तराजू में न तोलो,
मेरे कोमल हृदय को तुम यूं न टटोलो,
वहां भी तुम्हें एक इंसान नज़र आएगा,
जो इसांनियत के ही गीत गुनगुनाएगा .
मैं इंसान हूं, मुझे तराजू में न तोलो।
मत बांधो मुझे इस धर्म के जंजाल में,
मेरे अंदर तुम्हें एक धर्म नज़र आएगा .
मैं इंसान हूं, मुझे तराजू में न तोल।
बुद्धा कृष्णा कबीर भी मैं हूं ,
राम रहीम और फ़क़ीर भी मैं हूं ,
बनजाओ फ़कीर उसमें भी मजा आ जायेगा ,
लुटा दो मोहब्बत की दौलत, इंसान अमीर बन जायेगा।
मैं इंसान हूं, मुझे तराजू में न तोलो।
मेरे अल्ला, मेरे मौला, मेरे राम, मेरे घनश्याम,
मेरे इशू, मेरे नानक, कर मोहब्बतों के इबादत,
मिला दे इंसान को इंसान से इंसान इंसान तो बनजायेगा
मैं इंसान हूं, मुझे तराजू में न तोलो।
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