Main laut kar Ghar ja raha tha | Poetry By Ankit Paurush

मैं लौट कर घर जा रहा रहा था,
मेरा गांव मुझको बुला रहा था,
मुस्कान मेरा चेहरा पर थी,
बचपन की याद ह्रदय में थी।

चलते चलते सोच रहा था,
मां की ममता को देखूंगा,
बीवी बच्चों संग रहूंगा,
पिता को कहानियां बताऊंगा,
शहर से गांव जब लौट जाऊंगा,
चाचा, ताऊ से मिलूंगा,
गांव की मिट्टी में घूमूंगा,
गली मोहल्लों में जाऊंगा,
सब से मिलकर मैं आऊंगा,
मैं लौट कर घर जा रहा रहा था,
मेरा गांव मुझको बुला रहा था।

जग मग जग मग,
पैर मेरे चल रहे थे,
जिस मिट्टी में बचपन गुजरा,
उस मिट्टी से मिलने को तरस रहे थे,
मैं लौट कर घर जा रहा रहा था,
मेरा गांव मुझको बुला रहा था।

घर घर में जाकर मैं मिलूंगा,
जिनके साथ बचपन गुजरा था,
मेरा गांव मुझको बुला रहा था।

जैसे ही गांव पहुंचा,
आग हर जगह लग चुकी थी,
हर घर झुलस रहे थे,
घर को लोग घर को तरस रहे थे,
मैं घबरा गया,
हाय ये क्या वक्त आ गया।

मैं घबराहट में इधर उधर जा रहा था,
अपने परिवार को न देख पा रहा,
अचानक से आंख उस पीपल के पेड़ पर गई,
जिसके नीचे मेरा परिवार रो रहा था,
उनको देख मैं रो रहा था,
हाय यह कैसी विपदा आई,
जिसने घर घर में आग लगाई।

घर वालों से पता लगा,
ये जात धर्म की है लड़ाई,
जिसने घर घर में आग लगाई,
जात धर्म आपस में अड़ गए,
सर्वश्रेष्ठ दिखाने के लिए मर गए,
ये कैसी घड़ी आई,
धर्म की चादर ओढ़कर,
अधर्म ने अपनी वासना रचाई,
हाय ये कैसी घड़ी आई।

आचनक से आंख खुल गई,
घबराकर मैं उठ गया,
अच्छा था यह सपना था,
यह बुरा सपना टूट गया,
सिर दर्द से जूझ गया।

इस सपने ने 1947 याद दिला दिया,
पार्टीशन के नाम पर बटवारा करवा दिया,
अपने ही देश में रिफ्यूजी कैंप में रहा करते थे,
कुछ रिश्तेदार इधर,
और कुछ रिश्तेदार उधर रहा करते थे।

इन सब बात से एक बात मुझको समझ मैं आती,
धर्म वो है जो जोड़ता है,
अधर्म वो है जो तोड़ता है,
धर्म वो है मानवता लाता है,
पुरुष को पुरुषार्थ बताता है।

धर्म वो है जो मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने किया,
धर्म वो है जो कृष्ण के ज्ञान ने दिया,
महाभारत का युद्ध धर्मयुद्ध था,
जिसने अधर्मियों का ध्वंस किया।

धर्म वो है जो अधर्म होने से रोकता है,
जो अपराध,अन्याय, अत्याचार आदि से मुक्ति दिलाता है,
प्रकाश रूप ज्योति लाता है,
प्रेम से संसार को बांधता है,
यही तो धर्म के महानता है।

लोग जाति धर्म के नाम पर,
क्यों अधर्म कर जाते हैं,
आपस में बट जाते हैं।

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By Ankit Paurush

अंकित पौरुष अभी बंगलोर स्थित एक निजी सॉफ्टवेर फर्म मे कार्यरत है , साथ ही अंकित नुक्कड़ नाटक, ड्रामा, कुकिंग और लेखन का सौख रखते हैं , अंकित अपने विचार से समाज मे एक सकारात्मक बदलाव के लिए अक्सर अपने YouTube वीडियो , इंस्टाग्राम हैंडल और सभी सोसल मीडिया के हैंडल पर काफी एक्टिव रहते हैं और जब भी समय मिलता है इनके विचार पंख लगाकर उड़ने लगते हैं

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