भारत ऋषि मुनियों का देश

भारत ऋषि-मुनियों, मनीषियों का देश रहा है। इसकी क्यारियों में विभिन्न धर्म, सम्प्रदाय एवं मान्यतायें पुष्पित, पल्लवित एवं विकसित हुई है। वैचारिक क्रांति से कई बार समाज में परिवर्तन देखने को मिला। कभी विस्तारवादी सोंच के चलते झगड़े होते रहे है। इसी बीच कुछ महापुरूषों ने इस देश को एक सूत्र में बांधने का प्रयास किया, जिसका नमूना वर्तमान में मिलता है।

गया :- हमारे पुरखों ने क्षेत्रवाद, व्यक्तिवाद, जातिवाद से हटकर धर्मनिरपेक्ष सत्ता का सहारा लेकर एक आदर्श प्रस्तुत किया। जिसे आज की पीढ़ी ने अपना आदर्शपुरूष माना। इधर छद्म निरपेक्षता, क्षेत्रियता, जातिवादी, अहंकार रूपी बादल ने घेर रखा है। हमारे आदर्शों को कुछ लोग गला घोटने के लिए तैयार हैं। क्षणिक सोहरत और तुच्छ दृष्टि से मानवता को खतरा है।

आत्मसंयम, महापुरूषों से प्रेरणा, आत्मबलिदानियों एवं स्वतंत्रता संग्राम के योद्धाओं का इतिहास आत्मसात कर भारत (आर्यावर्त्त) को सजाने-संवारने की आवश्यकता है।

आयें, इस पुनीत कार्य में आज से ही लग जायें। लोग पूछेंगे कि क्या करना होगा? इसके लिए हमें प्रकृति से सीखना होगा। सूर्य, चन्द्रमा, रात-दिन, वायु, नदियां, पेड़-पौधे अपना काम करते रहते हैं। मनुष्य दखल देकर उनसे गलतियां कराने पर मजबूर कर रहा है।
बस अपना-अपना काम ससमय करें। भारत युवाओं का देश है। किसान, विद्यार्थी, वैज्ञानिक, नेता, बच्चे, माता-पिता सभी अपना कार्य श्रद्धा और लगन से करें। जिनके बदौलत हम चैन की नींद सो रहे हैं। उन्हें शाबाशी देने की जरूरत है।

कृपया शेरों को पत्थर मारकर उकसायें नहीं। लेखक, कवि, किसान, जवान, साहित्यकार सभी अपना सहयोग कर एक नये भारत के निर्माण में लग जायें। नहीं तो आने वाला समय बहुत ही खतरनाक मोड़ पर खड़ा है। यह तभी बचेगा जब हम-आप सभी मिलकर हाथ बढ़ायेंगे और एक नई सुबह की कामना करेंगे।

By MINIMETRO LIVE

Minimetro Live जनता की समस्या को उठाता है और उसे सरकार तक पहुचाता है , उसके बाद सरकार ने जनता की समस्या पर क्या कारवाई की इस बात को हम जनता तक पहुचाते हैं । हम किसे के दबाब में काम नहीं करते, यह कलम और माइक का कोई मालिक नहीं, हम सिर्फ आपकी बात करते हैं, जनकल्याण ही हमारा एक मात्र उद्देश्य है, निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने पौराणिक गुरुकुल परम्परा को पुनः जीवित करने का संकल्प लिया है। आपको याद होगा कृष्ण और सुदामा की कहानी जिसमे वो दोनों गुरुकुल के लिए भीख मांगा करते थे आखिर ऐसा क्यों था ? तो आइए समझते हैं, वो ज़माना था राजतंत्र का अगर गुरुकुल चंदे, दान, या डोनेशन पर चलती तो जो दान देता उसका प्रभुत्व उस गुरुकुल पर होता, मसलन कोई राजा का बेटा है तो राजा गुरुकुल को निर्देश देते की मेरे बेटे को बेहतर शिक्षा दो जिससे कि भेद भाव उत्तपन होता इसी भेद भाव को खत्म करने के लिए सभी गुरुकुल में पढ़ने वाले बच्चे भीख मांगा करते थे | अब भीख पर किसी का क्या अधिकार ? आज के दौर में मीडिया संस्थान भी प्रभुत्व मे आ गई कोई सत्ता पक्ष की तरफदारी करता है वही कोई विपक्ष की, इसका मूल कारण है पैसा और प्रभुत्व , इन्ही सब से बचने के लिए और निष्पक्षता को कायम रखने के लिए हमने गुरुकुल परम्परा को अपनाया है । इस देश के अंतिम व्यक्ति की आवाज और कठिनाई को सरकार तक पहुचाने का भी संकल्प लिया है इसलिए आपलोग निष्पक्ष पत्रकारिता को समर्थन करने के लिए हमे भीख दें 9308563506 पर Pay TM, Google Pay, phone pay भी कर सकते हैं हमारा @upi handle है 9308563506@paytm मम भिक्षाम देहि

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