छोटा लड़का छोटे शहर का । Poetry By Ankit Paurush । The Ankit Paurush Show
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बचपन में एक मित्र ने अपनी कहानी सुनाई,
उसकी कहानी सुनकर हमने एक कविता बनाई।
छोटा लड़का, छोटे शहर का,
६ क्लास में आया था,
गर्मियों की छुट्टी में,
घूमने का प्लान बनाया था।
छोटा शहर पर दिल बड़ा,
ऐसे घर में जीवन गुजारा,
छोटा शहर जरूर था,
घर सुख सुविधाओं से भरपूर था।
कुछ अपनो ने बुलाया,
दिल्ली सुनकर बड़ा मजा आया,
छुट्टी अच्छी कटने वाली है,
दिल्ली दिल की धड़कन सुनने वाली है।
सपने लेकर अपनो के यहां चले गए,
अपने अपनो के यहां छोड़ कर चले गए,
अपनो ने अपना वास्तविक रूप दिखाया,
अपने पराए का भेद कराया,
तकिया बिस्तर अलग कर दिया,
भेद भाव से रंग भर दिया,
दिल्ली दिल वालों जैसी ना लगी,
गांव शहर, छोटा बड़ा, ऊंचा नीचा ने अपनी रचना रची।
इस घटना से छोटी उम्र में एक शिक्षा मिली,
दिखावटी रिश्तों से अच्छे दिल के रिश्ते होते हैं,
जात, मजहब से ऊपर दिल के रिश्ते होते हैं,
इन रिश्तों में बटवारा न होता है,
तेरे हिस्से में ये, मेरे हिस्से में वो न होता है,
फिर मुझे अध्यात्म याद आता है,
हद से ज्यादा लोभ, लालच, अहंकार आदि रिश्तों का पतन करवाता है।
अगर जन्म से मिले रिश्तों में दिल से दिल मिल जाएं,
तो आदि से ज्यादा बीमारी चुटकी में कम हो जाएं।
Yes it’s very touching & nice
Yes it's true and good lines 🥰