जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 10 जुलाई, 2024 ::
गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है। सर्वविदित है कि वर्ष में 4 नवरात्र मनाया जाता हैं जिसमें दो प्रत्यक्ष रूप से और दो अप्रत्यक्ष रूप से। प्रत्यक्ष रूप से चैत्र और आश्विन महीने में और अप्रत्यक्ष रूप से आषाढ़ और माघ महीने में मनाई जाती हैं। अप्रत्यक्ष नवरात्र को गुप्त नवरात्रि भी कहा जाता है।
गुप्त नवरात्र में साधक अपनी साधना के लिए गुप्त स्थान यानि शमशान आदि जैसे स्थान पर जाते हैं। जबकि प्रत्यक्ष नवरात्र में लोग अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्तियों में वृद्धि करने के लिये अनेक प्रकार के नियम के साथ उपवास, संयम, नियम, भजन, पूजन योग साधना आदि करते हैं। लेकिन सभी नवरात्र में माता के सभी 51पीठों पर भक्त विशेष रुप से माता के दर्शनों के लिये एकत्रित होते हैं।
गुप्त नवरात्र विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व होता है । इस दौरान देवी भगवती के साधक बड़े कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं। गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या (तंत्र साधना) के लिए मां काली, मां तारा देवी, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला देवी की पूजा करते हैं।
गुप्त नवरात्र में दस महाविद्या पूजा में पहले दिन मां काली की पूजा उत्तर दिशा की ओर मुंह करके किया जाता है। इस दिन काला हकीक माला पर जप करने और इस दिन मां काली के साथ भगवान कृष्ण की भी पूजा करने का विधान है। ऐसा करने से शनि के प्रकोप से छुटकारा मिलता है। मां काली की पूजा का मंत्रों है – क्रीं ह्रीं काली ह्रीं क्रीं स्वाहा और ऊँ क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहा।
गुप्त नवरात्र में दूसरे दिन मां तारा की पूजा किया जाता है। इस पूजा को करने से बुद्धि और संतान के लिये लाभप्रद होता है। इस दिन नीले रंग की माला पर जप किया जाता हैं। मां तारा की पूजा का मंत्र है – ऊँ ह्रीं स्त्रीं हूं फट।
गुप्त नवरात्र में तीसरे दिन मां त्रिपुरसुंदरी और मां शोडषी की पूजा किया जाता है। अच्छे व्यक्तित्व और निखरे हुए रूप के लिये भी इस दिन मां त्रिपुरसुंदरी की पूजा करने का विधान है। बुध ग्रह के शांति के लिये भी इस दिन पूजा किया जाता है। इस दिन रूद्राक्ष की माला पर जप किया जाता है। मां त्रिपुरसुंदरी और मां शोडषी का मंत्र है – ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीये नम:।
गुप्त नवरात्र के चौथे दिन मां भुवनेश्वरी की पूजा किया जाता है। इस दिन मोक्ष और दान के लिए और भगवान विष्णु की पूजा करने से काफी शुभ फल प्राप्त होता है। इस दिन पूजा करने से चंद्रमा ग्रह संबंधी परेशानी भी दूर हो जाता है। मां भुवनेश्वरी का मंत्र है – ह्रीं भुवनेश्वरीय ह्रीं नम: और ऊं ऐं ह्रीं श्रीं नम:।
गुप्त नवरात्र के पांचवे दिन माँ छिन्नमस्ता की पूजा किया जाता है। इस दिन पूजा करने से शत्रुओं और रोगों का नाश होता है। इस दिन रूद्राक्ष माला पर जप करने का प्रावधान है। वशीकरण के लिए भी इस दिन पूजा किया जाता है। राहू से संबंधी परेशानी से छुटकारा के लिए भी पूजा किया जाता है। इस दिन मां को पलाश के फूल चढ़ाया जाता है। मां छिन्नमस्ता का मंत्र है – श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैररोचनिए हूं हूं फट स्वाहा।
गुप्त नवरात्र के छठे दिन मां त्रिपुर भैरवी की पूजा किया जाता है। इस दिन नजर दोष और भूत प्रेत संबंधी परेशानी दूर करने के लिए पूजा किया जाता है। इस दिन मूंगे की माला पर जप किया जाता है। मां के साथ बलभद्र की भी पूजा करने का भी विधान है, जिससे शुभ फल मिलता है। इस दिन जन्मकुंडली के लग्न घर में अगर कोई दोष होता है तो वह भी दूर हो जाता है। मां त्रिपुरा भैरवी का मंत्र है – ऊँ ह्रीं भैरवी क्लौं ह्रीं स्वाहा।
गुप्त नवरात्र के सांतवे दिन मां धूमावती की पूजा किया जाता है। इस दिन पूजा करने से द्ररिता का नाश होता है। इस दिन हकीक की माला पर जप किया जाता है। मां धूमावती का मंत्र है – धूं धूं धूमावती दैव्ये स्वाहा।
गुप्त नवरात्र के आंठवे दिन मां बगलामुखी की पूजा किया जाता है। इस दिन पूजा करने से कोर्ट-कचहरी और नौकरी संबंधी परेशानी दूर हो जाती है। इस दिन पीला वस्त्र धारण कर हल्दी माला पर जप करने का विधान है। अगर कुंडली में मंगल दोष संबंधी कोई परेशानी होती है तो मां बगलामुखी की कृपा से जल्द ठीक हो जाता है। मां बगलामुखी का मंत्र है – ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं, पदम् स्तम्भय जिव्हा कीलय, शत्रु बुद्धिं विनाशाय ह्रलीं ऊँ स्वाहा।
गुप्त नवरात्र के नौवें दिन मां मतांगी की पूजा किया जाता है। दरअसल गुप्त नवरात्र के नौंवे दिन दो देवियों की पूजा करने का प्रावधान है। इसलिए मां मतांगी की धरती की ओर और मां कमला की पूजा आकाश की ओर मुंह करके किया जाता है। इस दिन पूजा करने से प्रेम संबंधी परेशानी का नाश हो जाता है। बुद्धि से संबंधी भी मां मतांगी की पूजा किया जाता है। मां मतांगी का मंत्र है – क्रीं ह्रीं मातंगी ह्रीं क्रीं स्वाहा।
गुप्त नवरात्र के दसवें दिन मां कमला की पूजा आकाश की ओर मुख करके किया जाता है। मां कमला का मंत्र है – क्रीं ह्रीं कमला ह्रीं क्रीं स्वाहा।
गुप्त नवरात्र में विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्वपूर्ण होता है। गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या (तंत्र साधना) के लिए ही मां काली, मां तारा देवी, मां त्रिपुर सुंदरी, माँ भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला देवी की पूजा करते हैं।
संस्कृत व्याकरण के अनुसार नवरात्रि कहना त्रुटिपूर्ण माना जाता हैं। क्योंकि नौ रात्रियों का समाहार, समूह होने के कारण से द्वन्द समास होने के कारण यह शब्द पुलिंग रूप ‘नवरात्र’ में ही शुद्ध है।
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