पूरे विश्व में आज विभिन्न देशों के नागरिकों में शांति का अभाव दिखाई दे रहा है एवं परिवार के सदस्यों के बीच भी भाईचारे की कमी दिखाई दे रही है। शादी के तुरंत बाद तलाक लेना तो जैसे आम बात हो गई है, आज कई विकसित देशों में तलाक की दर 60 प्रतिशत से भी अधिक है। बुजुर्ग माता पिता की देखभाल करने वाला उनका अपना कोई साथ नहीं है। अमेरिका में तो लगभग 10 लाख बुजुर्ग नागरिक खुले में रहते हुए अपना जीवन यापन करने को मजबूर हैं। इन देशों में तो जैसे सामाजिक तानाबाना ही छिन्न भिन्न हो गया है। इसी प्रकार के अन्य कई कारणों के चलते आज सनातन हिंदू धर्म के प्रति विदेशी लोग आकर्षित हो रहे हैं, क्योंकि सनातन हिंदू धर्म का अपना एक अलग ही महत्व है। सनातन हिंदू धर्म में कुटुंब के प्रति वफादारी बचपन से ही सिखाई जाती है। भारत में आज भी संयुक्त परिवार की प्रथा प्रचलन में हैं, जिससे बच्चे अपने बचपन में ही अपने माता पिता की सेवा करने के संस्कार सीखते हैं और उन्हें पूरे जीवन भर अपने साथ रखने का संकल्प लेते हैं।

विश्व में कुछ अन्य धर्मों में बच्चों को बचपन में ही कट्टरता सिखाई जाती है एवं केवल अपने धर्म को ही सर्वश्रेष्ठ धर्म के रूप में पेश किया जाता है। इससे इन बच्चों में अन्य धर्मों के प्रति सद्भावना विकसित नहीं हो पाती है। कई बार तो अन्य धर्म को मानने वाले नागरिकों का धर्म परिवर्तन कर उन्हें अपना धर्म मानने को मजबूर भी किया जाता है। इसके ठीक विपरीत सनातन हिंदू धर्म किसी अन्य मजहब को मानने वाले व्यक्ति पर कभी भी कोई दबाव नहीं डालता है। सनातन हिंदू संस्कृति अन्य धर्मों के नागरिकों को किसी प्रकार का धर्म मानने की खुली स्वतंत्रता प्रदान करती है। ऐसा कहा जाता है कि जब इस दुनिया में कोई भी धर्म नहीं था तब इस धरा पर निवास करने वाले लोग केवल सनातन हिंदू धर्म का ही पालन करते थे। सनातन हिंदू धर्म बहुत ही ज़्यादा संयमित धर्म है जो किसी अन्य धर्म की ना तो उपेक्षा करता है और न ही वह अपने धर्म के वर्चस्व को सबके सामने रखने का प्रयास करता है। इसी कारण से कट्टरता के इस माहौल में आज पूरे विश्व में सनातन हिंदू धर्म के प्रति लोगों की आस्था एवं रुचि बढ़ रही है।

सनातन हिंदू धर्म आज विश्व में तीसरा सबसे बड़ा धर्म है और भारत में अधिकतर लोग इस धर्म को मानते हैं। एक अनुमान के अनुसार सनातन हिंदू धर्म इस पृथ्वी पर 10,000 वर्षों से हैं। लेकिन यदि वेदों और उपनिषदों में लिखी बातों को माने तो सनातन हिंदू धर्म की उत्पति लाखों वर्ष पहिले हुई थी उस समय ये सनातन धर्म के नाम से जाना जाता था। हिंदू धर्म को मानने वाले लोग भारत में रहते थे। इस धर्म को बहुत प्रभावशाली माना गया है। अन्य कुछ धर्मों के संस्थापक रहे हैं, जैसे ईसाई धर्म के संस्थापक के रूप में प्रभु यीशू को माना जाता है तथा इस्लाम धर्म के लिए मोहम्मद साहिब को संस्थापक माना जाता है और बौद्ध धर्म के लिए गौतम बुद्ध को संस्थापक जाना जाता है। परंतु, हिंदू धर्म के बारे में कहा जाता है कि कुछ संतों एवं महापुरूषों ने एक होकर जीवन को सही तरीके से व्यतीत करने का तरीका विकसित किया था। सनातन हिंदू संस्कृति को, धर्म नहीं बल्कि यह, जीवन जीने का एक तरीका भी माना जाता था।

सनातन हिंदू धर्म का यह मानना है कि प्रभु परमात्मा ने इस धरा पर सबको खुलकर हंसने, उत्सव मनाने और मनोरंजन करने की योग्यता दी है। यही कारण है कि सनातन हिंदू धर्म में सबसे अधिक त्यौहार और संस्कार होते हैं। उत्सव, जीवन में सकारात्मक संदेश लेकर आते हैं और हमारे संस्कार मिलन सरिता को दर्शाते हैं। सनातन हिंदू धर्म की यही प्रक्रिया दुनिया पसंद करती है। तभी तो ब्रिज की होली और कुम्भ के मेले का अवलोकन करने के लिए पूरी दुनिया से लोग भारत में आते हैं। यही एक कारण है कि आज पूरी दुनिया के कोने कोने में लोग हिंदू धर्म में अपनी रुचि दिखा रहे हैं।

हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन के अनुसार, आबादी के लिहाज से दुनिया के तीसरे सबसे बड़े देश अमेरिका में अब हिंदूओं की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है और हिंदू वहां राजनैतिक रूप से भी सक्रिय हो रहे हैं। इसके अलावा, कोरोना महामारी के बाद से पूरे अमेरिका एवं विश्व के अन्य देशों में योग और ध्यान की ओर लोगों का आकर्षण बहुत बढ़ गया है। योग और ध्यान पूरे विश्व को सनातन हिंदू धर्म की ही देन है। सनातन हिंदू धर्म बिलकुल ही कट्टरपंथी धर्म नहीं है। अन्य धर्मों की तरह इसमें किसी भी प्रकार का सामाजिक दबाव नहीं हैं। इस धर्म में धार्मिक शिक्षा के लिए कोई भी जोर जबरदस्ती नहीं है जैसा कि कुछ अन्य धर्मों में होता है। हिंदू धर्म मानता है कि शिक्षा सभी तरह की होनी चाहिए केवल धार्मिक आधार पर शिक्षा देना उचित नहीं है। किसी भी बच्चे की शिक्षा में अगर संस्कार जुड़ जाए तो वह बच्चा बड़ा होकर एक जिम्मेदार नागरिक बनता है और वह एक अच्छा इंसान बनता है। सनातन हिंदू धर्म में परोपकार की भावना होती है। अन्य धर्मों की तरह यह केवल अपने वर्चस्व के बारे में नहीं सोचता है।

इंडोनेशिया जो कि एक मुस्लिम बहुल देश हैं वहां पर सनातन हिंदू धर्म से जुड़े संस्कार आज भी पाए जाते हैं जिससे यह सिद्ध होता है कि यह देश हिंदू धर्म से कितना प्रभावित रहा है। मुस्लिम बहुल देश होने के बावजूद हिंदू धर्म का बहुत बड़ा प्रभाव यहां आज भी दिखाई देता है। मुस्लिम लोग भी अपना नाम हिंदू देवी देवताओं के नाम पर रखना पसंद करते हैं। सनातन हिंदू धर्म कभी भी किसी नागरिक पर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं डालता है। सनातन हिंदू धर्म कभी भी किसी को लालच देकर धर्म परिवर्तन नहीं करवाता है। परंतु, आज प्रत्येक वर्ष पूरे विश्व में बहुत से लोग अन्य धर्मों को छोड़कर स्वप्रेरणा से हिंदू धर्म अपना रहे हैं। सनातन हिंदू धर्म में स्त्रियों को जितना सम्मान दिया जाता है उतना किसी भी अन्य धर्म में नहीं दिया जाता है। सनातन हिंदू धर्म में स्त्रियों की पूजा की जाती है। सनातन हिंदू धर्म में आस्था का मतलब है कि जीवन में उमंग, उत्साह, उल्लास और मानवता की ओर झुकाव। जहां भारत में सनातन हिंदू धर्म को मिटाने की नाकाम कोशिश की जाती है वहीं रूस, ब्रिटेन, अमेरिका, घाना, सुरीनाम जैसे देशों में हिंदू धर्म तेजी से फैल रहा है। सनातन हिंदू धर्म पूरी दुनिया को शांति का संदेश देता है।

कई देशों में तो आज सनातन हिंदू संस्कारों का अनुपालन करते हुए विशेष गांव स्थापित किए जा रहे हैं। आयरलैंड में 22 एकड़ का एक हिंदू आइलैंड बन गया है। इसे हरे कृष्णा आइलैंड का नाम दिया गया है। यहां निवासरत समस्त नागरिकों द्वारा सनातन हिंदू धर्म के प्राचीन रीति रिवाजों का पालन बहुत ही सहजता के साथ किया जाता है। सनातन हिंदू धर्म के वैदिक नियमों को सदा सदा के लिए जीवित रखने के लिए यहां पर रहने वाले सनातनी हिंदू, मांस का परित्याग का शाकाहारी भोजन गृहण करते हैं। नशीले पदार्थों, शराब एवं सिगरेट आदि पदार्थों से भी दूर रहते हैं। सुबह एवं शाम मंदिरों में पूजा अर्चना करते हैं। उनका जीवन सादगी भरा रहता है तथा कृषि एवं गाय पालन करते हुए अपना जीवन यापन करते हैं। महिलाएं साड़ी पहनती है एवं पुरुष धोती कुर्ता धारण करते हैं। इसी प्रकार के गांव जहां हिंदू सनातन संस्कृति का अनुपालन किया जाता है अन्य कई देशों यथा घाना, फीजी एवं अन्य कई अफ्रीकी देशों, सुदूर अमेरिका, यूरोप के देशों, आदि में भी तेजी से फैलते जा रहे हैं।

इसी प्रकार, कजाकिस्तान एक मुस्लिम देश है क्योंकि यहां की 65 प्रतिशत से अधिक आबादी इस्लाम को मानने वाले लोगों की है। परंतु, हाल ही के समय में यहां भी एक बड़ा बदलाव देखने में आ रहा है और यहां नागरिक सनातन हिंदू धर्म के प्रति आकर्षित होते दिखाई दे रहे हैं। यहां सनातन हिंदू धर्म की लहर इतनी तेजी से उठी है कि हर तरफ हिंदू धर्म की आस्था एवं आध्यात्म का फैलाव दिखाई दे रहा है। यहां के युवा विशेष रूप से भगवत गीता पढ़ने की ओर आकर्षित हो रहे हैं और हिंदू धर्म को समझने का प्रयास कर रहे हैं। एक कजाकिस्तानी महिला मारीना टारगाकोवा की भगवत गीता को पढ़कर हिंदू धर्म के प्रति रुचि इतनी बढ़ी है कि अब उसने जैसे बीड़ा ही उठा लिया है कि वह कजाकिस्तान में सनातन हिंदू धर्म को फैलाने का प्रयास लगातार करती नजर आ रही है।

By Prahlad Sabnani

लेखक परिचय :- श्री प्रह्लाद सबनानी, उप-महाप्रबंधक के पद पर रहते हुए भारतीय स्टेट बैंक, कारपोरेट केंद्र, मुम्बई से सेवा निवृत हुए है। आपने बैंक में उप-महाप्रबंधक (आस्ति देयता प्रबंधन), क्षेत्रीय प्रबंधक (दो विभिन्न स्थानों पर) पदों पर रहते हुए ग्रामीण, अर्ध-शहरी एवं शहरी शाखाओं का नियंत्रण किया। आपने शाखा प्रबंधक (सहायक महाप्रबंधक) के पद पर रहते हुए, नई दिल्ली स्थिति महानगरीय शाखा का सफलता पूर्वक संचालन किया। आप बैंक के आर्थिक अनुसंधान विभाग, कारपोरेट केंद्र, मुम्बई में मुख्य प्रबंधक के पद पर कार्यरत रहे। आपने बैंक में विभिन पदों पर रहते हुए 40 वर्षों का बैंकिंग अनुभव प्राप्त किया। आपने बैंकिंग एवं वित्तीय पत्रिकाओं के लिए विभिन्न विषयों पर लेख लिखे हैं एवं विभिन्न बैंकिंग सम्मेलनों (BANCON) में शोधपत्र भी प्रस्तुत किए हैं। श्री सबनानी ने व्यवसाय प्रशासन में स्नात्तकोतर (MBA) की डिग्री, बैंकिंग एवं वित्त में विशेषज्ञता के साथ, IGNOU, नई दिल्ली से एवं MA (अर्थशास्त्र) की डिग्री, जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर से प्राप्त की। आपने CAIIB, बैंक प्रबंधन में डिप्लोमा (DBM), मानव संसाधन प्रबंधन में डिप्लोमा (DHRM) एवं वित्तीय सेवाओं में डिप्लोमा (DFS) भारतीय बैंकिंग एवं वित्तीय संस्थान (IIBF), मुंबई से प्राप्त किया। आपको भारतीय बैंक संघ (IBA), मुंबई द्वारा प्रतिष्ठित “C.H.Bhabha Banking Research Scholarship” प्रदान की गई थी, जिसके अंतर्गत आपने “शाखा लाभप्रदता - इसके सही आँकलन की पद्धति” विषय पर शोध कार्य सफलता पूर्वक सम्पन्न किया। आप तीन पुस्तकों के लेखक भी रहे हैं - (i) विश्व व्यापार संगठन: भारतीय बैंकिंग एवं उद्योग पर प्रभाव (ii) बैंकिंग टुडे एवं (iii) बैंकिंग अप्डेट (iv) भारतीय आर्थिक दर्शन एवं पश्चिमी आर्थिक दर्शन में भिन्नता: वर्तमान परिपेक्ष्य में भारतीय आर्थिक दर्शन की बढ़ती महत्ता latest Book Link :- https://amzn.to/3O01JDn

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