yeh raat andheri ghanghor saaya.
ये रात अँधेरे घनघोर साया ,
ये रात अँधेरे घनघोर साया,
तेरे महफ़िल मैं वो लम्हा याद आया ,
तेरी चांदनी के भी क्या दीवाने थे हम ,
तेरे दामन मैं कभी हँसा कभी रोया करते थे हम.
ये रात अँधेरे घनघोर साया ,
ये रात अँधेरे घनघोर साया,
तेरे महफ़िल मैं वो लम्हा याद आया ,
तेरी चांदनी के भी क्या दीवाने थे हम ,
तेरे दामन मैं कभी हँसा कभी रोया करते थे हम.
तू जब आता शीतल लहर बिखर जाती,
तेरी महफ़िल में फिर वही कहानी याद आती,
तू भी यहीं है , हम भी यहीं हैं,
तू भी यहीं है , हम भी यहीं हैं
समय समय का खेल हैं,
तू कहीं हैं, हम कहीं है।
पास होकर भी कितने दूर हैं हम,
मिलते हुए भी मिलने को मजबूर हैं हम,
फिर वही घडी आएगी, तू मेरे साथ होगा,
तेरा दमन फिर मेरे पास होगा,
तेरे दामन में फिर खेला करेंगे हम,
तेरे चांदनी में कभी हँसा, कभी रोया करेंगे हम।
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☺️👍👌
Awesome lines..
Bahut khoob mere bhai🥰
Kya baat, kya baat, kya baat. Maja aagaya bhai….. Keep it up…
Nice poem and nicely executed…
Very nice Ankit 🙏🏻🙏🏻
Bahut ache
Beauuuuuuuuuuutiful