अगर सभी गलतियां बिजली विभाग द्वारा की गई हैं और बिल में गड़बड़ी विभाग की वजह से हुई है, तो आपको ब्याज और विलंब शुल्क देने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। यह आपकी धार्मिक और कानूनी अधिकार के तहत आता है कि यदि विभाग की गलती से आपको अधिक या गलत बिल भेजा गया है, तो उस पर कोई ब्याज या विलंब शुल्क नहीं लिया जा सकता।
इसके लिए आपको निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:
लिखित में शिकायत दर्ज करें:
यदि आपके पास विभाग की गलतियों का साक्ष्य है (जैसे गलत बिल, मीटर रीडिंग, और आपके द्वारा की गई शिकायतें), तो आप विभाग को लिखित रूप से सूचित करें कि आपको गलत बिल भेजा गया है और यह विभाग की गलती है।
स्पष्ट रूप से कहें कि क्योंकि यह विभाग की गलती है, आपको बिल में कोई ब्याज या विलंब शुल्क का भुगतान नहीं करना चाहिए।
ब्याज और विलंब शुल्क का विरोध करें:
आप यह भी विभाग से लिखित रूप से मांग सकते हैं कि यदि कोई ब्याज या विलंब शुल्क लग चुका है, तो इसे हटाया जाए क्योंकि यह विभाग की गलती के कारण हुआ है।
साक्ष्य पेश करें:
अपने पिछले बिलों, मीटर रीडिंग और सभी शिकायतों का दस्तावेजीकरण रखें ताकि आप इसे विभाग को दिखा सकें और यह साबित कर सकें कि आपकी खपत वास्तविकता से मेल खाती है और बिल में कोई त्रुटि विभाग की ओर से है।
उपभोक्ता आयोग में शिकायत करें:
अगर विभाग ब्याज और विलंब शुल्क को लेकर आपकी बात नहीं सुनता है, तो आप उपभोक्ता फोरम या विद्युत उपभोक्ता आयोग में शिकायत कर सकते हैं। उपभोक्ता आयोग के पास इस तरह के मामलों में निर्णय लेने का अधिकार होता है, और वे आपकी शिकायत पर उचित कार्रवाई करेंगे।
वैधानिक प्रावधान:
बिजली बिल और शुल्क के संदर्भ में, भारतीय विद्युत अधिनियम के तहत, अगर विद्युत सेवा प्रदाता की ओर से गलती होती है, तो उपभोक्ता को उन गलतियों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। साथ ही, यदि बिल में सुधार किया जाता है, तो उस सुधार के आधार पर कोई अतिरिक्त शुल्क (जैसे ब्याज या विलंब शुल्क) नहीं लिया जा सकता।
निष्कर्ष:
यदि बिल की गड़बड़ी विभाग की वजह से हुई है, तो आपको ब्याज और विलंब शुल्क नहीं देना चाहिए। आप विभाग से इस शुल्क को हटवाने के लिए मांग कर सकते हैं और यदि जरूरत पड़े तो कानूनी मंच पर भी अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।