ये काग़ज़ का टुकड़ा । Poetry By Ankit Paurush। The Ankit Paurush Show

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पूरी दुनिया इस के पीछे भाग रही,
इच्छाओं को मार रही,
मैं भी इसके पीछे भाग रहा,
इच्छाओं को मार रहा,
इच्छाएं भी यही पूरी कराता,
घर, परिवार, संसार चलाता,
अमीरी, गरीबी का भेद कराता,
बीच में हम जैसा लटक जाता,
निर्जीव पर जीवन वर्धक है,
ये काग़ज़ का टुकड़ा।

एक बूढ़े को देखा मैंने,
पी रहा था बीड़ी,
चेहरे पर झुर्रियां थी,
दिख रही थी मजबूरी,
मैंने पूछा क्या हुआ बाबा,
किसी का कर रहे हो इंतजार,
उसने बताया बीवी का कराना है उपचार,
कुछ पैसा जोड़ लिया,
कुछ का कर रहा हूं इंतजार।

मैने सोचा एक काग़ज़ का टुकड़ा है,
फिर भी न दे पाना, है मेरी मजबूरी,
शर्ट पैंट में दिख रहा शायद इसको अमीर हूं,
क्या बताऊं मध्य वर्ग का गरीब हूं।
मैं भी मदद करना चाहता हूं,
मजबूर हूं फिर चुप हो जाता हूं।

मजबूर की मजबूरी बढ़ाता ,
समाज में प्रतिष्ठा बढ़ाता ,
मान, सम्मान ये दिलाता,
यश, कीर्ति, आयुष बढ़ाता,
ये काग़ज़ का टुकड़ा।

आज खूब बारिश है,
फिर भी जाना है दफ्तर,
मन करता है बस कर,
फिर याद आ जाता है,
ये काग़ज़ का टुकड़ा।

नए रिश्ते इससे बनते है,
बने हुए रिश्ते इससे चलते हैं,
न्याय को अन्याय दिलाता,
अन्याय को न्याय,
ये भरपूर है तो आप राजा हो,
नहीं तो रंक,
बीच में हम जैसे लटके है,
जीवन को देता रंग।

झूठी प्रशंसा ये कराता,
चापलूस, चमचों से ये मिलाता,
ये काग़ज़ का टुकड़ा।

ये सही_गलत ,
दोनो दिशाओं की रफ्तार बढ़ाता,
पुरुषार्थ का है, एक महत्वपूर्ण अंग ,
धर्म, अधर्म दोनो कराता,
न्याय के हाथ लगे, तो न्याय दिलाता,
अन्याय के हाथ लगे, तो अन्याय दिलाता,
पाखंडियों के हाथ लगे, तो पाखंड फैलता,
ये काग़ज़ का टुकड़ा।

ये शक्ति है,
सही हाथों में लग जाए,
तो अच्छा समाज बनाता, प्रेम फैलाता,
गलत हाथों में चली जाए,
तो अन्याय कराता, अपराध बढ़ाता।

सरकारें इन शक्तियों का श्रोत हैं,
हमारी इन सबसे अनुरोध है,
इन शक्तियों को सही दिशा दिखाओ,
स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल बनवाओ,
हर चीज मुफ्त नहीं,
पर शिक्षा, स्वास्थ मुफ्त कराओ,
जीवन है पुरुषार्थ दिखाओ,
सही धर्म करके सामर्थ बढ़ाओ,
शिक्षा स्वास्थ भरपूर फैलाओ,
ये काग़ज़ के टुकड़े को,
किसी की मजबूरी न बनाओ।

अगर शिक्षा सबको भरपूर मिल जाएगी,
इलाज बाधा न बन पाएगी,
तो सब पर होगा भरपूर ,
ये काग़ज़ का टुकड़ा।

अगर सब पर होगा भरपूर,
ये काग़ज़ का टुकड़ा,
देश को दिशा मिल जाएगी,
प्रगति के नीव रख जाएगी।

अपने अपने हृदय से पूछा,
क्या जो कर रहे हो,
वो वाकई में करना चाहते हो,
या मजबूरी को चाहत बनाते हो?

जो वाकई में करना चाहता है इंजीनियरिंग,
वही इंजियरिंग करेगा,
बिना बात के कोई मेडिकल नहीं करेगा,
एमबीए करके यहां वहां नहीं भटकेगा,
जिस राह के लिए पैदा हुआ,
उसी राह पर चलेगा,
ऊर्जा से अपना काम भरपूर करेगा,
बिना कोशिश करे ध्यान खूब लगेगा,
और देश प्रगति की और बढ़ेगा।

मजबूरी भी अन्याय करवाती है,
इंसान को हैवान बनाती है,
हर अपराधियों से पूछो,
तूने अपराध क्यू किया,
कुछ हैवान थे,
कुछ परेशान थे,
और काफियों की मजबूरी थी,
ये काग़ज़ का टुकड़ा।

अंकित पौरुष

By Ankit Paurush

अंकित पौरुष अभी बंगलोर स्थित एक निजी सॉफ्टवेर फर्म मे कार्यरत है , साथ ही अंकित नुक्कड़ नाटक, ड्रामा, कुकिंग और लेखन का सौख रखते हैं , अंकित अपने विचार से समाज मे एक सकारात्मक बदलाव के लिए अक्सर अपने YouTube वीडियो , इंस्टाग्राम हैंडल और सभी सोसल मीडिया के हैंडल पर काफी एक्टिव रहते हैं और जब भी समय मिलता है इनके विचार पंख लगाकर उड़ने लगते हैं

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