41.श्रीमद भगवद गीता से श्री भग्वानुवाचः 41वा श्लोक अध्याय 2 का 49वा श्लोक #shorts #viral #adhyatam



श्री भग्वानुवाचः 41 वा श्लोक अध्याय 2 का 49 वा श्लोक
कर्म के फल की इच्छा को छोड़कर जो निष्काम कर्म योगी होता है, वह पाप पुण्य से दूर हो जाता है जो फल के लिए काम करते हैं। उन्हें हमेशा असफल होने का डर रहता है और इसीलिए कभी भी वो कर्म को अच्छे से नहीं कर पाते और फिर अगर उनको फल मिल भी जाता है तो इसी फल में उलझ जाते हैं। इसलिए हमें बुद्धि योग की शरण में आना चाहिए। लगन सिर्फ काम में और भगवान में तब बुद्धि निश्चय से काम कर पाती है।
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By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है।

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