A COVID19 positive patient leaves for the hospital



उन्हें शिकायत है कि पटाखे क्यों फोड़े? अरे सिर्फ दिया जलाने से तो कोरोना वैसे भी नहीं भागता, ऊपर से पटाखे फोड़ दिए! कोई त्यौहार है क्या? अपनी ऊँची अटारी से उतरकर जमीन पर आते मियां तो पता चलता कि ये भारत है। यहाँ तो मृत्यु भी उत्सव है और चैती में “खेले मसाने में होरी” गाया जाता है।

अहमदाबाद में एक महिला की रिपोर्ट जब कोरोना वायरस टेस्ट में पॉजिटिव आई, तब उसे अस्पताल ले जाने का ये वीडियो है। इसमें वो हाथ हिलाकर आस पास के लोगों से विदा ले रही है। अस्पताल में कई दिन रहने के लिए उसने अपना बैग तैयार रखा है। वो लोगों को अधिकारियों और डॉक्टरों से सहयोग की अपील करती है।

वो कह रही है कि बुखार और खांसी जैसे लक्षणों पर घबराना नहीं। डॉक्टरों और अधिकारियों से सहयोग करें और क्वारेंटाईन / सोशल डिस्टेन्सिंग जैसे नियमों का पालन करें। जिस बीमारी का इलाज सचमुच हो भी पायेगा या नहीं, इसका भी पता नहीं, उससे ऐसे उत्सव की तरह मिलते, किसी को देखा है? फर्क तो है भाई!

बाकी हम ना भी करें तो क्या होता है? सिंगल सोर्स जमात के छुपने, फ़ोन बंद करके गायब होने, फर्जी नाम-आधार कार्ड पर यात्रा करने वगैरह से तुलना तो होगी ही!

By anandkumar

आनंद ने कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की है और मास्टर स्तर पर मार्केटिंग और मीडिया मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। उन्होंने बाजार और सामाजिक अनुसंधान में एक दशक से अधिक समय तक काम किया। दोनों काम के दायित्वों के कारण और व्यक्तिगत रूचि के लिए भी, उन्होंने पूरे भारत में यात्राएं की हैं। वर्तमान में, वह भारत के 500+ में घूमने, अथवा काम के सिलसिले में जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों से, वह पटना, बिहार में स्थित है, और इन दिनों संस्कृत विषय से स्नातक (शास्त्री) की पढ़ाई पूरी कर रहें है। एक सामग्री लेखक के रूप में, उनके पास OpIndia, IChowk, और कई अन्य वेबसाइटों और ब्लॉगों पर कई लेख हैं। भगवद् गीता पर उनकी पहली पुस्तक "गीतायन" अमेज़न पर बेस्ट सेलर रह चुकी है।

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