अगर सोमनाथ बार-बार बन सकता है, किसी उबड़-खाबड़ जमीन को समतल करके राम जन्मभूमि मंदिर बनाया जा सकता है, तो फिर मार्तंड सूर्य मंदिर फिर से क्यों नहीं बन सकता? हमपर कौन सा “हुबैदिया की संधि” लागू है जो हम अपने टूटे धर्मस्थलों का पुनः निर्माण नहीं कर सकते? अब तो कश्मीर में दो विधान, दो निशान वाली बात भी नहीं रही। कांग्रेसियों के थोपे हुए असंवैधानिक काले कानून प्लेसेस ऑफ वॉरशिप एक्ट 1991 की जद में भी मार्तंड सूर्य मंदिर नहीं आयेगा। उसका स्वरुप तो हमाजी हमलावर दो साल में भी नहीं बदल पाए। मार्तंड सूर्य मंदिर अपने मूल स्वरुप यानी मंदिर के स्वरुप में ही है। सूर्य की उपासना के पर्व छठ को देख लिया हो तो मार्तंड सूर्य मंदिर के पुनःउत्थान का प्रयत्न क्यों न शुरू कर दिया जाए?
ड्रेस्डेन और चर्च निर्माण की मूल ट्विटर पोस्ट का लिंक –
Whenever they tell you it can't be done in the modern age, show them Dresden.
What's been achieved in Dresden is the most inspiring architectural feat for decades. Everything you see in the bottom image was built, from scratch, in the last 20 years.
The city was a gem of German… pic.twitter.com/3LAPRIF2EZ
— Culture Critic (@Culture_Crit) November 18, 2023
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सूर्योपासना के प्राचीनतम प्रमाण ऋग्वेद से ही मिलने प्रारंभ हो जाता है।
बहुत अच्छा । हम सब को प्रयास करना चाहिए की मार्तंड सूर्य मंदिर की जीर्णोद्धार हो।