शूट the मैसेंजर ,
पॉक्सो एक्ट कहता है सक्षम पदाधिकारी सूचना मिलने के बाद अगर करवाई नही करते तो सक्षम पदाधिकारी पर भी मामला बनता है !
पटना जिले के मोकामा क्षेत्र से कुछ दिनों पहले एक मामला सामने आया था जाब 18 सितम्बर 2023 को एक लड़की किसी ट्रैफिक मित्र पर बदतमीजी करने का आरोप लगाती हुई दिखाई दी। घटना को वहीँ मौजूद कुछ नवयुवकों ने मोबाइल कैमरे से शूट किया और सोशल मीडिया के माध्यम से घटना जनता की नजर में आई। वीडियो में साफ़ देखा जा सकता है की पीड़िता के साथ ट्रैफिक मित्र ने दुर्व्यवहार किया है मगर पुलिस ने मामले में लड़की के पिता के आवेदन पर वीडियो बनाने वाले पर ही गंभीर पोक्सो एक्ट और जेजे एक्ट की धाराओं में शिकायत दर्ज कर ली है।
अब क्या कहता है pocso एक्ट की धारा 23 ?
किसी भी नाबालिग का वीडियो या तस्वीर जिसमें उसकी पहचान उजागर हो जिससे की उसकी बदनामी (यौन उत्पीड़न जैसा मामला) हो रही हो तब यह धारा लगाईं जाती है साथ ही जेजे एक्ट यानी कि जुविनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 74 के अंतर्गत भी मामला दर्ज किया गया है।
प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ओफ्फेंस की धारा 23 में कहा गया है कि पीड़ित बच्चे या बच्ची की पहचान उजागर नहीं की जा सकती। इसपर Aware News 24 ने पहले ही एक विडियो बनाया है जिसे आप देख सकते हैं –
पूरे प्रकरण में, युवाओं द्वारा किसी के साथ यौन दुर्व्यवहार हुआ ही नहीं है बल्कि ऐसी घटना को उजागर कर देने के लिए उल्टा उन्हें ही मुकदमा झेलना पड़ रहा है। ऐसे में जब लोग शिकायत करते हैं कि दबंगों की गलत हरकत को रोकने के लिए समाज आगे नहीं आता तो ये जरूर पता चलता है कि समाज क्यों आगे नहीं आता। वीडियो से किसी की बदनामी का मामला भी सच नहीं लगता क्योंकि अंत का भाग जब आप सुनेंगे, तो पीड़ित पक्ष से दूसरा पक्ष ये कहते हुए पाया गया की पिता भी पुत्री को ऐसे छू सकता है। यानी किसी के छूने का किशोरी ने विरोध किया तो था!
दूसरी तरफ युवाओं का वीडियो में कहना ये है कि महिलाऐं भी बाजार में होती हैं, ऐसी स्थिति में भीड़ से निपटने के लिए महिला कर्मियों को क्यों नहीं रखा गया है? साथ ही वो युवा किसी लड़की को छूने से आपत्ति दर्ज करवा रहे हैं। हालांकि मामले की संवेदनशीलता और कानूनी पक्ष की जानकारी होने के कारण, अवेयर न्यूज़ 24 ने अपने वीडियो में किशोरी का चेहरा ब्लर कर दिया था। वीडियो आप यहाँ देख सकते हैं –
जिन्होंने ऐसा नहीं किया है क्या उनपर भी जेजे एक्ट और पोक्सो एक्ट जैसी सख्त कानूनी कार्रवाई उचित लगती है क्या? सूत्रों के हवाले से खबर मिल रही है की दबंगों द्वारा लड़की के पिता को पैसा देकर जबरन रिपोर्ट लिखवाई गयी है। हालांकि हम इस बात की पुष्टि नही करते मगर जैसे ये मामला आगे बढ़ा, वो तो कुछ इसी ओर इशारा कर रहे है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पुनः बिना ट्रेनिंग के नियमो को ताख पर रख कर ट्रैफिक मित्र की बहाली की गई है।
क्या था मामला
मामला बस इतना था की बिना प्रॉपर ट्रेनिंग की कैसे ट्रैफिक मित्र को बहाल किया जा सकता है? भविष्य में ऐसी कोई घंटना न घटे इसलिए उक्त विडियो को सोशल मीडिया में डाला गया था। किसी की भी मंशा किसी को भी बदनाम करने की नही थी और न ही किसी भी प्रकार की बदनामी हुई है।
मामले में नया रंग और साजिश की बू आती हुई
मामले के एंगल बदलने के लिए इस तरह का पुलिस और राजनीतिज्ञ सभापति की मिली भगत से ये सब किया जा रहा है ध्यान रहे कि पोक्सो एक्ट यह भी कहता है कि मामले में सक्षम पदाधिकारी को स्वतः संज्ञान लेना है। अगर सबूत के तौर पर मामला में वीडियो अदालत में पेश हुआ तो जांच अधिकारी को भी बताना होगा कि लड़की का शिकायत करना सुनकर उन्होंने स्वतः संज्ञान क्यों नहीं लिया? उसके पिता पर भी अपने-आप ही अपराध होते देखने के बाद भी कानूनी कार्रवाई हेतु सक्षम पदाधिकारियों को सूचित न करने का मामला बन जायेगा। क्या जो आरोप लड़की वीडियो में लगा रही है क्या उसपर जांच की गयी, इतना तो अदालत को बताना ही होगा।
बहरहाल देखते हैं मामले में होता क्या है? पुलिस से मिलीभगत सभापति के काम आती है या फिर मामला कोर्ट तक पहुँचता है? हम तो दर्शक दीर्घा में हैं देखते हैं होता क्या है!
आवेदन की कॉपी संलंग्न